यही नियति बन गयी है दिल्ली की

आज दिल्ली में जिस तरह अग्निकाण्ड में 50 से अधिक व्यक्ति अकारण मारे गये उससे सभी नागरिकों को चिंता है कि वे सुरक्षित नहीं हैं। अमीरों के अपने सुरक्षा कवच है किन्तु गरीब मजदूर असहाय कहाँ जाएं? उनके लिए तो हर हाल में मरना है। वे काम चाहते हैं सुरक्षित काम उन्हें कहाँ मिलेगा? असुरक्षित जगहों पर ऐसे हादसे होते ही रहेंगे। सरकारों ने न पहले सबक लिया है और न आज लेगी। चन्द मिनटों में मुआवजे की घोषणा, घायलों का उपचार और सब बराबर। यही नियति बन गयी है दिल्ली की, दिल्ली के आमजन की ।