आज पूरे भारत वर्ष में चारों ओर आत्महत्या का मानो दौर चल रहा है | चाहे देश का किसान हो, कर्मचारी ,व्यापारी हो, विद्यार्थी हो ,प्रेमी प्रेमिका हो ,परिवार में पति पत्नी हो ,सभी वर्गो में आत्महत्या की प्रवत्ति देखने मेंआ रही है | ये चिंता का विषय है | पता नहीं केन्द्र एवं राज्य सरकारें उदासीनता क्यों दिखा रही है ? मात्र महाराष्ट्र के किसानों की आत्महत्याओं की चर्चा जब कभी होती है | चुनाव में जोर से होती है बाद में सब भूल जाते हैं | कहीं कोई अभाव में मर रहा है | कहीं कोई कर्ज में ,कहीं कोई अनदेखी में ,कहीं सामाजिक दंश 'ऑनर किलिंग' का फरमान सुनाकर आत्महत्या के लिये विवश कर रहा है | ऐसे में जरूरी है कि भारत सरकार एक आयोग गठित करें ;जो इनकी जाँच कर आत्महत्या रोकने हेतु सुझाव दे | हमारे लिए मानव भी एक संसाधन है ,उसे इस तरह आत्महत्या केभरोसे नहीं छोड़ सकते | समय -समय पर आम आदमी की मुस्किलों का भी जायजा लिया जाना चाहिए |
आत्म हत्या की रोकथाम हेतु आयोग के गठन की आवश्यकता