संवाद करें विवाद नहीं

 


आज जबकि हमारा देश आर्थिक मंदी के कठिन दौर से गुजर रहा है और जहाँ देखो वहीं विवाद की स्थिति बन रही है। कोई भी राजनैतिक घटना घटती है तो हम सब काम धाम छोड़कर उसी पर केन्द्रित होकर बहसबाजी करना प्रारंभ कर देते हैं। मानो हमें और कोई काम है ही नहीं। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार ने विश्वास मत प्राप्त किया तो इसके लिए भी विपक्ष दोषी है। कोई पूछ सकता है क्यों? जब शिवसेना राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस की संख्या अधिक है तो वे जीतेंगे ही। इस सामान्य सी बात को भी हमारे बहस-बाज पचने नहीं दे रहे हैं । यदि भाजपा में संख्या बल होता तो वे ही इस्तीफा क्यों देते ? आज डॉ. बलात्कार की शिकार हुई है। सामान्य महिला वर्ग असुरक्षित है। हम उन्हें कैसे सुरक्षा दे सकते हैं ? हम कैसे आर्थिक प्रगति कर सकते हैं ? इस पर भी संवाद होना चाहिए। अकेले नेताओं के भरोसे बैठकर हम न्याय नहीं कर सकते। किसी भी दुर्घटना पर मोमबत्ती मत जलाओ बल्कि संगठित होकर संकल्प लो की हम ऐसी स्थिति निर्मित ही नहीं होने देंगे। कब वह दिन आयेगा जब हम स्त्री को स्वतंत्रता का अधिकार देंगे और उस पर अपना अधिकार नहीं जमायेंगे ? आओ विचार करें।